सलाहुद्दीन अय्यूबी, बेतुल मुकद्दस की फतेह उनकी सबसे बड़ी ख्वाहिश थी, islamic stories in hindi

सलाहुद्दीन अय्यूबी


पूरा नाम      : सलाहुद्दीन यूसुफ बिन अय्यूबी

खानदान      : अय्यूबी

बाप का नाम : नजमुद्दीन अय्यूब

पैदाइश       : तिकरित इराक़ 1137 ई , 1138 ई

वफात         : मार्च 1193 ई दमिश्क़ सीरिया

दफ़न          : मस्जिद उमैय्या, दमिश्क़ शाम (सीरिया)

मज़हब         : इस्लाम

नस्ल से        : कूर्द थे

जब सलाहुद्दीन अय्यूबी रहमुल्लाह  छोटे थे और पड़ोस के बच्चों के साथ खेल रहे थे तो उनके वालिद आये  और उन्हें  ऊँचा उठाकर  कहा मैंने तुम्हारी माँ से इस लिए शादी नहीँ की  और ना ही तुम्हारी माँ ने तुम्हें इस लिए पैदा किया कि तुम  बच्चों के साथ खेल कूद में मशगूल रहो बल्कि मैंने तुम्हारी माँ से शादी  और उसने तुम्हें इस लिए पैदा किया ताकि तुम बैतुल मुक़द्दस  को आज़ाद कराओ, फिंर ऊपर से ही छोड़ जिस से सलाहुद्दीन  अय्यूबी ज़मीन पर गिर गये और उन्हें चोट लग गई , बाप ने पूछा  चोट लगी दर्द हो रहा है उन्होंने  कहा हाँ तो बाप ने कहा फिंर रोते कियुं नहीं और ना ही चिल्ला रहे हो  सलाहुद्दीन अय्यूबी ने जवाब दिया "मस्जिद अक़्सा" आज़ाद कराने वाले रोते चिल्लाते नहीं :

(अल नवादर अल सुल्तानिया वल मुहासिन अल युसूफ़िया)


#तुम_परिंदों_से_दिल_बहलाया करो सिपाह गिरी उस इंसान के लिये एक ख़तरनाक खेल है जो औरत औऱ शराब का दिल दादह हो, यह तारीख़ी अल्फ़ाज़ सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी ने अपने चचाज़ाद भाई  हलीफ़ा अल सालेह के एक अमीर सैफ़ुद्दीन को लिखे थे: उन दिनों सलिबियों को दर परदह मदद ज़र व जवाहरात का लालच दिया और सलाहुद्दीन अय्यूबी को शिकसत देने की साजिश की, अमीर सैफ़ुद्दीन अपना माल व मता छोड़कर भाग उसके जाती खेमगाह से रंग बिरंगे परिंदे हसीन और जवान रक्कासायें और गाने वालियां साज़ और साजिंदे शराब के मटके बरामद हुये :


सलाहुद्दीन अयूबी रहमुल्लाह अलैह का शुरुआती दौर

सलाहुद्दीन अयूबी कुर्द नस्ल थे 1138 ई में कुर्दिस्तान के उस हिस्से में पैदा हुए जो अब इराक में शामिल है शुरू शुरू में वह सुल्तान नूरुद्दीन जंगी रहमुल्लाह अलैह के यहां एक फौजी अफसर थे मिस्र को फतह करने वाली फौज में सलाउद्दीन अयूबी भी मौजूद थे और उस फौज के सिपहसालार शेर कोह सलाहुद्दीन अयूबी के चाचा थे मिस्र फतेह हो जाने के बाद सलाहुद्दीन अयूबी को 564 हिजरी में मिस्र का हाकिम मुकर्रर कर दिया गया उसी जमाने में 569 हिजरी में उन्होंने यमन भी फतेह कर लिया नूरुद्दीन जंगी के इंतकाल के बाद सलाहुद्दीन अयूबी ने होकूमत संभाला पर  सलाहुद्दीन अय्यूबी अपने कारनामे में नूरुद्दीन ज़ंगी पर भी बाजी ले गए सलाउद्दीन अयूबी में जिहाद का जज्बा कूट कूट कर भरा हुआ था 

और बेतुल मुकद्दस की फतेह उनकी सबसे बड़ी ख्वाहिश थी मिस्र के बाद सलाहुद्दीन अयूबी ने 1182 ई तक शाम मूसल हलब वगैरा फतह करके अपनी होकूमत में शामिल कर लिए उसी दौरान में सलीबी सरदार रेनॉल्ड के साथ 4 साला मोआहदा हो चुका था जिसके रो से दोनों एक दूसरे की मदद करने के पाबंद थे लेकिन यह मोआहदा महज कागज़ी और रस्मी था सलीबी बदस्तूर अपनी मक्कारियों और लूटमार में मसरूफ थे और मुसलमानों के काफिले को बराबर लूट रहे थे


1186 ई में मसीहियों के एक ऐसे ही हमले में रेनॉल्ड ने यह हिम्मत की की बहुत से दिगर मसीही सरदार के साथ मदीना मुनव्वरा पर हमला की गरज से हिजाज मुकद्दस पर हमलावर हुआ सलाउद्दीन अयूबी ने उसकी सरगर्मियां  की रोकथाम के लिए एकदामात किए और फौरन रेनॉल्ड का पीछा करते हुए हतीन में उसे घेर लिया सुल्तान ने यही दुश्मन के लश्कर पर एक ऐसा आतिश गीर केमिकल डलवाया जिससे जमीन पर आग भड़क उठी चुनांचे इस आतिशी माहौल में 1187ई को हतीन के मुकाम पर तारीख की खौफनाक तरीन जंग का आगाज हुआ इस जंग के नतीजे में 30000 मसीही मौत के घाट उतारे गए और इतने ही कैदी बना लिए गए रेनाल्ट गिरफ्तार हुआ और सुल्तान ने अपने हाथ से उसका सर कलम किया दरअसल रेनॉल्ड हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शान में ब्रमला तौर पर गुस्ताखी किया करता था और सुल्तान अयूबी ने उसे अपने हाथों से मारने की कसम खाई थी यही वजह है कि उसके इत्तेहादि बादशाहों के साथ वही सलूक किया जैसा एक बादशाह दूसरे बादशाह के साथ करता है लेकिन रेनॉल्ड के जुर्म बहुत संगीन थे इस जंग के बाद इस्लामी फौजी मसीही इलाकों पर छा गई 

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