कुतुबुद्दीन ऐबक , गुलाम वंश, मामलूक सुल्तान, मूल वंश,

कुतुबुद्दीन ऐबक कौन था


कुतुबुद्दीन एेबक को भारत में तुर्की राज्य का संस्थापक माना जाता है। वह दिल्ली का प्रथम तुर्क शासक था।1206 में मुहम्मद गोरी की अचानक मृत्यु होने पर लाहौर के स्थानीय नागरिकों के अनुरोध पर सत्ता स्वीकार की। 


■सत्ता संभालने के पहले ऐबक के पास क्या जिम्मेदारी थी...

■तराइन के द्वितीय युद्ध में विजय के बाद मुहम्मद गोरी ने कुतुबुद्दीन एेबक को अपने मुख्य भारतीय प्रदेशों का सूबेदार नियुक्त किया था। दरअसल मुहम्मद गोरी की कोई सन्तान नहीं थी। अपने साथ बड़ी संख्या में दास लाया था, जिन्हें उसने अपने अधिकारियों के रूप में नियुक्त किया था।


■ऐबक को वास्तविक रूप से दासता से मुक्ति कब मिली... 

सिंहासन पर बैठने के बावजूद कुतुबुद्दीन सुल्तान की उपाधि धारण नहीं की, बल्कि मलिक और सिपहसालार की पदवियों से संतुष्ट रहा। एेबक ने न तो अपने नाम का खुतबा पढ़वाया और न ही अपने नाम के सिक्के चलवाए। 1208 में गोरी के उत्तराधिकारी गियासुद्दीन ने उसे दासता से मुक्त किया और सुल्तान घोषित किया।


■ऐबक के राज्य की राजधानी कहाँ थी 

एेबक ने लाहौर को अपनी राजधानी बनाया और उसके पूरे शासनकाल के दौरान यही राजधानी रही। उसने साम्राज्य विस्तार से अधिक साम्राज्य की दृढ़ता पर ध्यान केंद्रित किया।


■ऐबक को लाखबख्श क्यों कहा जाता था...

मिनहाजुद्दीन सिराज ने कुतबुद्दीन को एक वीर एवं उदार सुल्तान बताया है। वह लाखों में दान दिया करता था, इस कारण उसे लाखबख्श कहा जाता था।


■ऐबक ने क़ुतुब मीनार का निर्माण किसके नाम पर कराया 

एेबक ने प्रसिद्ध सूफी सन्त 'ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर दिल्ली में कुतुबमीनार का निर्मांण शुरू कराया था। बीच में मृत्यु हो जाने से यह अधूरी रह गई, जिसे आगे चलकर इल्तुतमिश ने पूरी कराया।


■ऐबक की मृत्यु कब हुई उसका उत्तराधिकारी कौन बना...

1210 में चौगान खेलते समय, घोड़े से अचानक गिर जाने के कारण उसकी मृत्यु हो गई। कुतबुद्दीन का उत्तराधिकारी उसका अनुभवहीन और अयोग्य पुत्र आरामशाह बना। बाद में कुतुबुद्दीन के अन्य गुलाम व दामाद बने इल्तुतमिश न उसे अपदस्थ करके सिंहासन पर अधिकार कर लिया।


■प्रारंभिक तुर्क शासकों को गुलाम वंश का क्यों कहा जाता है... 

■कुतुबुद्दीन के सत्ताग्रहण वर्ष 1206 से लेकर 1290 तक मध्य दिल्ली सल्तनत के शासक गुलाम वंश के सुल्तानों के नाम से विख्यात हुए। क्योंकि ज्यादातर शासक पहले गुलाम रह चुके थे ।


■इन शासकों को मामलूक सुल्तान क्यों कहा गया...

इतिहासकार हबीबुल्लाह ने इनें मामलूक नाम दिया। मामलूक शब्द का अर्थ स्वतंत्र माता-पिता से उत्पन्न हुए दास से है।

■चूंकि गुलाम वंश के शासनकाल के दौरान प्रत्येक शासक स्वतंत्र माता-पिता की सन्तान थे। इस कारण इन सुल्तानों को गुलाम वंश के सुल्तान कहने के स्थान पर प्रारंभिक तुर्क सुल्तान या मामलूक सुल्तान कहना अधिक उपयुक्त है।


■इन शासकों के मूल वंश क्या थे...

हालांकि शासकों के मूल वंश को माना जाय तो कुतुबुद्दीन ने कुतुबी, इल्तुतमिश ने शम्सी, और बलबन ने बल्बनी राजवंश की स्थापना की।


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