ज़िम्मेदारी कभी ख़त्म नहीं होगीे...
एक_फ़क़ीर_नदी_के_किनारे_बैठा_था...किसी ने पूछा बाबा क्या कर रहे हो?...............
फक़ीर ने कहा -
इंतज़ार कर रहा हूं पूरी नदी बह जाए तो फिर पार करूं।
उस आदमी ने कहा -कैसी बात करते हो बाबा...पूरा पानी बहने के इंतज़ार मे तो तुम कभी नदी पार ही नहीं कर पाओगे।
फ़क़ीर ने कहा - यही तो मै तुम लोगों को समझाना चाहता हूं कि तुम लोग जो हमेशा ये कहते रहते हो की एक बार घर की ज़िम्मेदारियां पूरी हो जायें तो फिर नमाज़ पढूंगा, दाढी रखूंगा, हज करूंगा, खि़दमत करूंगा...
जैसे नदी का पानी ख़त्म नहीं होगा, हमको इस पानी से ही पार जाने का रास्ता बनाना है, इसी तरह ज़िंदगी ख़त्म हो जायेगी पर ज़िंदगी के काम और ज़िम्मेदारी कभी ख़त्म नहीं होगीे...
नमाज़ कायम करें.......
```लेट करने से पहले किसी एक को सेन्ड जरूर करे
ईन्सान घर बदलता है
👔कपड़ा बदलता है
रिस्ते बदलता है
दोस्त बदलता है फिर भी परेशान क्यों रहता है ??
क्यों कि वो खुद को नही बदलता ,,,,,,,,,,,,,,
दिन मे पाच टाईम नमाज पढ़ने कि आदत बनाओ ,,,,,,,।
सिर्फ़ ye सोचकर कि क्या पता ye आजान आप आखिरी बार सुन रहे हो ,,,,,,,।।।।।
क्या पता तुम्हारा रब الله तुम्हें आखिरी बार पुकार रहा हो ,,,?
90% लोग ईस मैसेज को फार्वड नही करते ,,,
लेकिन आप जरूर करे الله के दीन को फैलाने मे देरी नही करनी चाहिए
बेशक जो अल्लाह الله के कामो मे लग जाता है अल्लाह الله खुद ऊसके कामो मे लग जाता है..```]

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जवाब देंहटाएंबेशक़
जवाब देंहटाएंमाशाअल्लाह