Indian Muslim बुरा लगे तो माफ़ करना लेकन हक़ीक़त यही है*
*बुरा लगे तो माफ़ करना लेकिन हक़ीक़त यही है*
*शब्बन चच्चा कह रहे थे कि भारतीय मुस्लिम भी कमाल की चीज हैं।* 👇
बुरा लगे तो माफ़ करना लेकिन हक़ीक़त यही है*
इस्लाम को बढ़ाने में इनका योगदान लगभग शून्य है, इन्होंने कभी जिहाद नहीं किया। इस्लाम के लिए इन्होंने कभी कोई कुर्बानी न
हीं दिया हां इस्लाम में बहुत सारी बुराइयों को जोड़ने में इनका योगदान बेमिसाल है।
युरोप के गैर मुस्लिम वहां के मुसलमानों के अख्लाक को देख कर इस्लाम स्वीकार कर रहे हैं युरोप और अमेरिका में इस्लाम बहुत तेजी से फैल रहा है वहीं भारतीय मुस्लिमों के अखलाक ऐसे हैं कि लोग इस्लाम से जुड़ने की तो छोड़ो गैर लोग इनसे दोस्ती करने में भी डरने लगे हैं।
भारतीय मुसलमानों का इस्लाम में सबसे बड़ा योगदान फिरकों को बढ़ाने के सिवा कुछ नहीं है। जिसका पुरा श्रेय मौलवियों और मौलानाओ को जाता है जो एक दूसरे की बुराई करने में सुबह से शाम कर देते हैं ।
भारतीय मुसलमानों को पड़ोसी का बच्चा गाज़ी और शहीद पसंद है और अपने बच्चों के लिए मार्केट में सबसे ज्यादा फैशनेवल में जो कपड़े हों वो चाहिए, एकदम लेटेस्ट डिजाइन।
इन्हें साऊदी में सिनेमा घर खुलने से गुस्सा आता है मगर खुद सलमान की फिल्मों का फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखते हैं।
इन्हें साऊदी की औरतों को ड्राइविंग का अधिकार मिलने से दिक्कत है मगर खुद की औरतें बेहया दिन भर स्कूटी में बाजारों में घूमें तो कोई फर्क नहीं पड़ता।
ये भारत में ओवैसी का विरोध करते हैं कि कट्टर हैं इन्हें भारत में मनमोहन सिंह और अखिलेश जैसा सेकुलर चाहिए जिससे ये आज़ादी से रह सकें लेकिन इन्हें खाड़ी देशों में सच्चे दिल से इस्लाम को फॉलो करने वाले की ही सरकार चाहिए।
इन्हें अपनी मस्जिदों को मंदिर में स्थापित होने या शहीद होने से कोई फर्क़ नहीं पड़ता लेकिन
अल अक्सा मस्जिद फिलिस्तीन के पास ही रहनी चाहिए , और फिलिस्तीनीयों के शहीद होने पर गर्व जरूर करते हैं ।
इन्हें भारतीय संविधान की बातों को फॉलो करने में तो जी जान लगा देते हैं लेकिन अपने नबी की बातों को फॉलो करने में शर्म महसूस करते हैं।
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इन्हें 56 मुस्लिम देशों की एकजुटता तो खूब पसंद है लेकिन अपने मोहल्ले के मुस्लिम पड़ोसियों से झगड़ने में वक्त नहीं लगाते।
सबसे ज्यादा काफिर और मुनाफिक के फतवे भारत के मुसलमानों के द्वारा ही दिए जाते हैं जबकि लगभग पचास प्रतिशत को सिर्फ चार सूरतें याद हैं और पैंतालीस प्रतिशत को चार सूरतें भी नहीं आतीं।
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है न शब्बन चच्चा की बात बिल्कुल सही की भारतीय मुस्लिम कमाल की चीज हैं
*💐💐बुरा लगे तो माफ़ करना लेकिन हक़ीक़त यही है💐💐*
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*Fwd Asrecevd*

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